अटल बिहारी वाजपेयी भाजपा के प्रधानमंत्री थे जब उन्होने नरेंद्र मोदी को फोन करके मुख्यमंत्री बनने को कहा था| पर नरेंद्र मोदी उस वक़्त एक अजीब सी स्तिथि में थे? और वाजपेयी भी तोड़ा सा सकपका गये थे| जानते हैं क्यूँ? क्यूंकी मोदी को गुजरात का तख्त तो देना था, पर उस समय मोदी शमशान में थे!
जानते हैं क्यूँ?
क्यूंकी माधव राव सिंधिया का तभी प्लेन क्रैश में निधन हुआ था|
सभी नेता उनके दाह कर्म में जा रहे थे, पर इसी क्रैश में एक पत्रकार का भी निधन हो गया था|
कोई उस पत्रकार, गोपाल, के दाह कर्म में नहीं गया था|
इसीलिए मोदी ने उस पत्रकार की अंतिम क्रिया में जाने का निर्णय किया
खैर वाजपेयी के फोन ने उनको एक और दुविधा में डाल दिया|
उस दौरान नरेंद्र मोदी की ज़िंदगी कुछ ऐसी थी, की ना उनके पास घर था, ना ही कोई जगह जहाँ वो रह पाते| तो वो तब क्या करते?
नरेंद्र मोदी ने पूरी की पूरी बात अपने मुँह से ही बताई|
तो उन्होने एक कमरा लिया पर किसी तरह का नियम नहीं तोड़ा, बल्कि पूरा पैसा जेब से भरने के बाद! उसके बाद से मोदी का मुख्यमंत्री के रूप में जीवन शुरू हुया| पर चुनौतियाँ बहुत थीं, और सबसे बड़ी चुनौती फिर से चुनकर आने की थी और भाजपा को गुजरात में फिर से सत्ता दिलाने की थी| इसके लिए मोदी ने गुजरात में गाँव-गाँव बिजली लाने के प्रयास किए, और इसके बाद से अब तक, भाजपा लगातार सत्ता में आती ही रही है
नरेंद्र मोदी और वाजपेयी के बारे में ये कहा जाता है की जहाँ उनके रिश्ते पहले बहुत मज़बूत थे, 2002 के दंगों के बाद दोनो के संबंध बिगड़ गये यहाँ तक की वाजपेयी ने उनको राजधर्म निभाने की सलाह भी दे डाली थी, जिस पर मोदी ने कहा था, की वो उसी का पालन कर रहे हैं| एक समय था जब मोदी को आडवाणी के करीब माना जाता था, पर बाद में उनके साथ भी रिश्ते बिगड़ गये|