भारत में असहिष्णुता की चीख पुकार में शांति की मिठास घोलने और देश के लोगों को फिरसे अपने फ़र्ज़ और भारतीय फौज के त्याग की याद दिलाने के लिए खेल जगत के सितारे उठ कर खड़े हो गये हैं| इससे साफ है की तथाकथित असहिष्णुता की आँधी की सच्चाई को वो खूब समझ रहे हैं|
भारतीय क्रिकेटर महेंद्र सिंह धोनी ने साफ-साफ बोला की जहाँ हम असहिष्णुता की बाते करने में लगे हैं, ये हमें याद रखना चाहिए की हम इस स्तिथि हुए हैं, तो भी अपने जवानों के कारण| आगे लिखते हुए धोनी ने ये भी कहा की जवान हमारे जैसे ही तो लोग हैं जिन्होने देश को अपने हितों से ऊपर रखा|
बॉक्सर विजेंदर सिंह ने ख़ास अंदाज़ में देश के दुश्मनों को चेतावनी देते हुए लिखा की :
जिस देश में खेत की डोल का 1 इंच खिसकने पर 10 कत्ल हो जाते हैं , वो कश्मीर दे देगा? बहुत बड़ी गलतफहमी पाल रखी है कुछ लोगो ने|
गौरतलब है की जेएनयू में कश्मीर को भारत से अलग करने के भी नारे लगे थे जिससे की ये सारा का सारा विवाद उठ खड़ा हुया है|
बात यहाँ पर ही ख़तम नहीं होती, क्रिकेटर शिखर धवन तो पहले ही बोल चुके हैं की जिस देश में रहते हैं उसके खिलाफ बोलना सही नहीं है और उन्होने विश्विद्यालयों में तिरंगे का भी समर्थन कर दिया है|
भारतीय क्रिकेटर गौतम गंभीर भी इस पूरे मुद्दे से परेशान होते दिखे उन्होने जाधवपुर विश्विद्याल और जेएनयू के मुद्दे पर नेताओं को चेताया की अब नेताओं को माँ भारती की सोचनी चाहिए ना की सत्ता में आने के लिए इस मुद्दे के राजनीतिकरण करने की|
बालीवुड सितारे अक्षय कुमार भी तिरंगे को विश्विद्यालयों में लगाने के पक्ष में खुल कर बोले हैं हालाँकि वो इंसमें अकेले ही हैं|
पर ये ना भूलिए की सबसे पहले इस मुद्दे को बड़े सुंदर ढंग से उभरा और देश की आँखें खोल दीं अपनी इस खूबसूरत कविता से:
“गज़नी का है तुम में खून भरा जो तुम अफज़ल का गुण गाते हों,
जिस देश में तुमने जनम लिया उसको दुश्मन बतलाते हो!
भाषा की कैसी आज़ादी जो तुम भारत माँ का अपमान करो,
अभिव्यक्ति का ये कैसा रूप जो तुम देश की इज़्ज़त नीलाम करो!
अफज़ल को अगर शहीद कहते हो तो हनुमनथप्पा क्या कहलायेगा,
कोई इनके रहनुमाओं का मज़हब मुझको बतलायेगा!
अपनी माँ से जंग करके ये कैसी सत्ता पाओगे,
जिस देश के तुम गुण गाते हो, वहाँ बस काफिर कहलाओगे!
हम तो अफज़ल मारेंगे तुम अफज़ल फिर से पैदा कर लेना,
तुम जैसे नपुंसको पे भारी पड़ेगी ये भारत सेना!
तुम ललकारो और हम न आये ऐसे बुरे हालात नहीं
भारत को बर्बाद करो इतनी भी तुम्हारी औकात नहीं!
कलम पकड़ने वाले हाथों को बंदूक उठाना ना पड़ जाए,
अफज़ल के लिए लड़ने वाले कहीं हमारे हाथो न मर जाये!
भगत सिंह और आज़ाद की इस देश में कमी नहीं,
बस इक इंक़लाब होना चाहिए,
इस देश को बर्बाद करने वाली हर आवाज दबनी चाहिए!
ये देश तुम्हारा है ये देश हमारा है, हम सब इसका सम्मान करें,
जिस मिट्टी पे हैं जनम लिया उसपे हम अभिमान करें! जय हिंद”
ना केवल इतना ही, रिटाइर्ड भारतीय सैनिकों ने कल दिल्ली में मार्च फॉर यूनिटी की जिसमें तिरंगे के साथ हज़ारों ने मार्च किया और साथ ही साथ नारे लगे की भारत माता का ये अपमान नहीं सहेगा हिन्दुस्तान|
कहने का मतलब ये है की देश अब पूरी तरह से फिर से जैसे एक मंथन की स्तिथि में पहुँच रहा है और एक नयी वैचारिक क्रांति की ओर अग्रसर है|
जी डी बक्शी साहब इस बात से खुश होंगे की उनका ये मानना, की वो अकेले रह गये हैं, आख़िरकार ग़लत साबित हुआ है| ये एक अच्छी बात है पर साथ ही साथ याद रखिए, की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की कोई सीमा होनी ही चाहिए और जो भी अपनी बात कहे वो पूरी शांति और प्रेम से कहे |
हालाँकि भारत को असहिष्णु कहने वाले इस बात पर चुप हैं की अमरीका, ब्रिटन, सौदी अरेबिया और चीन जैसे देशों में अल्पसंख्यकों की हालत क्या है|खैर सच सब जानते हैं|
ज़्यादा दूर ना जाइए, अपने पड़ोसी मुल्क पाकिस्तान, म्यांमार और बांग्लादेश को ही देख लीजिए और सोचिए की क्या आप किसी अराजक देश में रहते हैं या एक सहिष्णु देश में?
*फीचर चित्र में बालीवुड के शीर्ष अभिनेता अक्षय कुमार हैं|