वीरेंदर सहवाग ने गौ पर एक फोटो शेयर करके जीता दिल

वीरेंदर सहवाग ने ट्विटर पर एक फोटो डाली जिस पर लिखा था की की ‘गाय हमारी माता है’और नीचे लिखा था की ये तस्वीर 2008 में श्रीलंका में ली गयी थी| इस साधु ने कुछ गायों को हत्या से बचाया था और इन गायों में से एक गाय ने इस तरह से इस साधु का आभार व्यक्त किया!

इस पर वीरेंदर सहवाग ने लिखा ‘गाय की  कृतज्ञता, अद्भुत!

यहाँ आपको बता दें की बौद्ध धर्म में गायों की रक्षा ज़रूरी मानी गयी है| और बौद्ध साधु इसके लिए तत्पर हैं|

वीरेंदर सहवाग की इस ट्वीट से आप हैरान या परेशान होंगे| आख़िर गौ रक्षा का मुद्दा केवल भारतीय सभ्यता का ही हिस्सा माना जाता रहा है| परंतु ये दरअसल हिंदू, जैन और बौद्ध समाज से जुड़ा हुआ मसला है| हम इतिहास की तरफ ना जाकर आपको हाल की ही दो घटनाओं की ओर ले जाएँगे जो आपको बताएगी की गौ रक्षा भारत में ही नहीं बाहर भी हो रही है|

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श्रीलंका के कॅंडी में एक बौद्ध साधु बोवत्ते इंडरतना ने खुद को आग लगा कर गौ हत्या का विरोध करके सनसनी फैला दी थी| ये घटना 2013 की है|

श्रीलंका के कॅंडी में एक बौद्ध साधु बोवत्ते इंडरतना  ने खुद को आग लगा कर गौ हत्या का विरोध करके सनसनी फैला दी थी| ये घटना 2013 की है| श्रीलंका बौद्ध और हिंदू बहुल है और दोनो माँस तो खाते हैं पर गौ माँस दोनो ही नहीं खाते|  75% जली अवस्था में साधु को कोलंबो नेशनल हॉस्पिटल  ले जाया गया|

बोवत्ते इंडरतना  ने बाद में दम तोड़ दिया| यहाँ ये बताना आवश्यक है की इस बौद्ध साधु ने मुस्लिम हलाल माँस के खिलाफ और धर्म परिवर्तन के खिलाफ भी आवाज़ उठाने के लिए किया था और उन्होने खुद को आग भी श्रीलंका के सबसे मान्यता प्राप्त बौद्ध मंदिर ‘टेंपल ऑफ द टूथ‘ के सामने लगाई थी |

मतलब साफ है की गौ रक्षा के लिए सिर्फ़ हिंदू ही नहीं बौद्ध भी खड़े हैं| श्रीलंका की बात के साथ साथ म्यांमार के बौद्ध भी इसके लिए सामने खड़े हैं| उनका मानना है की हिंदू धर्म में भी गौ रक्षा दरअसल बौद्ध धर्म के कारण ही आई और वो इसके लिए तत्पर हैं| बौद्ध संगठन माबाथा ने  नवास, अर्थात गौ को महत्वपूर्ण माना क्यूंकी वो दूध देती हैं और बराबर से खेतों में काम करती हैं| म्यांमार के मुस्लिमों के खिलाफ बौद्ध संगठन अक्सर गौ हत्या की वजह से ही पीछे पड़ जाते हैं जिसके लिए इस देश को वैश्विक स्तर पर आलोचना भी झेलनी पड़ती है|

1961 में म्यांमार के प्रधानमंत्री उ नू जो की एक कट्टर धार्मिक बौद्ध थे ने गौ हत्या पर पाबंदी लगा दी थी जिसको 1962 में उनकी सेना ने रद्द कर दिया था| उनकी बेटी ने बाद में एक पत्रिका को बताया था की उनके परिवार ने कभी गौ माँस नहीं खाया जबकि वो माँसाहारी भी थे इसका कारण उन्होने ये बताया था की क्यूंकी ये जीव उनके लिए बहुत कुछ करते हैं इसीलिए उनको खाना सही नहीं है| उन्होने ये भी बताया की इसके बाद वो खुद शुद्ध शाकाहारी हो गयी| नेपाल भी गौ रक्षा में पीछे नहीं है| हिंदू और बौद्ध बहुल होने के कारण वहाँ गौ रक्षा स्वत: हो जाती है|

मतलब साफ है गौ हित की बात करने में भारत ही नहीं कई और भी हैं जो शायद भारतीयों से भी बढ़ चढ़कर काम करने में लगे हैं|