वामपंथी चरमपंथियों के दाँत तोड़ने के लिए भारत खड़ी कर रहा है एक नई फोर्स

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सेंट्रल रिज़र्व पोलीस फोर्स (सीआरपीएफ) एक नई बटालियन खड़ी कर रहा है जो की ख़ास तौर पर छत्तीसगढ़ के बीजापुर, दंतेवाड़ा, नारायणपुर और सुकमा से अदिवसी समुदाय (अनुसूचित जनजाति) की भरती लेगी, मतलब माओवादियों के गढ़ से भरती करेगी| और सबसे कमाल की बात ये है की ये भरती उन आदिवासी युवाओं की लेगी जो की इन इलाक़ों से आते हैं|  744 अनुसूचित जनजाति से ताल्लुक रखने वाले होनहार जवान भारत सीआरपीएफ का हिस्सा बनेंगे|

भारत सरकार ने ये कदम इसीलिए उठाया है ताकि आदिवासी समुदाय को अपनी प्रतिभा दिखाने का एक मौका मिले और वो वामपंथी आतंकियों की तरफ  जाने को मजबूर ना हों|

बस्तर से होने वाली ये भरतियाँ एक और ज़रूरी काम करेंगी, ये आदिवासी समुदाय, जो अपनी खुद की पुरातन युद्ध कला के लिए जाना जाता है, ये उसको और निखारेंगी और इसका बाकी बटालियन भी लाभ उठा पाएँगी|

दरअसल भारत का आदिवासी समुदाय एक बेहद निर्भीक और साहसी वर्ग है परंतु अशिक्षा और सामाजिक दुराव के कारण आए पिछड़ेपन से ट्रस्ट होकर काई लोगों का झुकाव वामपंथी चरमपंथियों की तरफ हो गया है| वामपंथी चरमपंथियों और आतंकियों की हिंसा का सबसे ज़्यादा शिकार भी आदिवासी वर्ग ही है|

अब इससे निपटने के लिए भारत सरकार ने ये पहल की है| एक ज़रूरी बात और है, वामपंथी चरमपंथी अब भारत में आखरी साँसें ले रहे हैं इसीलिए कई लोगों को इस वक़्त बटालियन खड़ी करने की बात ठीक शायद ना लगे, पर इससे एक चीज़ ज़रूर हो जाएगी, इस बटालियन के खड़ी होने से आदिवासी समुदाय की वीरता और उनके युद्ध कौशल का ज्ञान समस्त भारत को हो जाएगा और ये इस समाज के उत्थान और मुख्यधारा में प्रवेश में सहायक होगा| रोज़गार और मौके तो खैर इसमें मिलेंगे ही|

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